Tuesday, January 17, 2017

उठो युवा तुम उठो ऐसे. . .


     

उठो युवा तुम उठो ऐसे 

उठो युवा तुम उठो ऐसे
चक्रवात में तूफां उठता है जैसे ।।
हां, अब कौन युवा,तुम्हारे सिवा?
रक्षक प्यारे देश का ।
तूं चाहते तो तांडव मचे,
देर है तेरे उस वेष का ।।
अब तो सब से आस भी टूटी ।
लगने लगी 'अब दुनिया भी झूठी ।।
कैसी जननी? कि कैसा लाल?
जो जनकर भी जना क्या लाल?
जो देश की गरिमा बचा सके ।
ध्वंस कर रावण - राज धरा से
एक आदर्श राम - राज्य बना सके ।।
तुम देश के आन हो ।
हिन्दू हो या मुसलमान हो ।
किसी मजहब के नहीं,
"तुम मातृभूमि के लाल हो "।।
तुम कालो के भी महाकाल हो
फिर क्यों अन्जान हो?
क्या नेता - मंत्रियों से परेशान हो?
ओह ! कही विलीन न हो मेरे सपनों का भारत !
हे महारथ! तुझमें है सामर्थ ...रोक दे ए अनर्थ ...।
अगर है मोहब्बत ...तो अपनी यौवन - शक्ति जगा दे ।
आज अपने युग। से भ्रष्टाचार मिटा दो।।







  

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