Subscribe to:
Posts (Atom)
-
बेवफा ! अपनों के लिए ... ओ ' धन्य ' जिसने आंख बन्द होते हुए भी दुनिया के हसीन नजारों को देख लिया था . सात सु...
-
हम कलियुग के प्राणी हैं सतयुग, त्रेता न द्वापर के हम कलयुग के प्राणी हैं । हम सा प्राणी हैं किस युग में, हम अधमदेह धारी हैं।। हमारा युग तो...
-
(हमें बाधाएं और कठिनाईयां कभी रोकती नहीं है अपितु मज़बूत बनाती हैं) लफ़्ज़ों से कैसे कहूं कि मेरे जीवन की सोच क्या थीं? आखि़र मैंने भी सो...