Saturday, January 31, 2015
Saturday, December 6, 2014
भूत ...
(अंद्विश्वास की कुरीतियों को दूर करने के लिए एक कथा भूत ...।)
आंधी व घटा तो आता ही रहती थी पर जिस दिन स्याम बाबू अपने बेटे को खेल सिखाने के लिए खेल के मैदान में ले जा रहे थे। उस दिन इतनी भयंकर आंधी आई की श्याम बाबू चल न सके, अचानक गिर पड़े । उन्हें देखकर कुछ ऐसा प्रतीत हो रहा था
निष्प्राण है पर उनकी सहसा आँखें खुली तो देखा एक बूढी औरत उनके करीब आ रही थी । पर श्याम बाबू भय रहित आँखों से पर्दा हटाया और लोहा लेने के लिए तैयार हो गए। उनके इस वीरता को देख वह बूढी औरत कफर हो चली ... आखिर श्याम बाबू को संदेह हो गया की बहुत ही है।
एक दिन श्याम बाबू जिंदगी और मौत के बीच खड़े होकर बहुत को भागने का फैसला लिए ...। वे सभी से बोले - अपने हिरदय से भय को निकल दो, अंततः एक दिन बहुत की कथा हो गयी लुप्त, सिर्फ नाम ही रह गया। आज उसी गाओं में लोग कलेजा ठंडा कर जीवन गुजर रहे हैं ।
एक दिन वे कहने लगे कि वे लोग आधी खोपड़ी के थे, जो न समझ पा रहे थे की भय से बहुत होता है। हाँ, मैं तो अल्पज्ञ हुं अपनी नज़र से तो कह सकता हूँ कि भय से ही भूत होता है किन्तु दुनिया नज़र से यह कैसे कह सकता हूं की वास्तव में बहुत होते हैं या अन्धविश्वास की कथा ? यह प्रश्न आप लोगों से करता हूँ।
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शिवराज आनंद
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