माँ ! हम आये तेरे शरण में ,नित
छुएं चरण, मम निवेदन स्वीकार करो !
है यही भाव- भजन, मन लगी- लगन,
मम-जीवन निर्माण करो !
मालिन साथ है |
तू जननी !हम लाल ,
सब तेरे हाथ हैं ||
जग सृजनी ! दे तूं जैसी आकृत,
सब तेरा प्रत्युपकार
हैं |
हम सब कच्ची मिटटी,
तू सबका कुम्भकार है ||
तू भू की रानी! ,तू अम्बर की न्यारी माँ |
तुझमे बसी दुनिया सारी।
तुझमे तरी दुनिया सारी माँ ।।
हे स्नेहमयी माँ !
तेरी गोद में हमने सोया |
तुझ संग मिलकर हमने रोया
तेरी आचंल में हमने खेला!
तेरी आँचल में हमने खाया !
तूने हमे कहा - आँखों का तारा !
हमने तुझे कहा – ध्रुव का तारा !!
' राम-कृष्ण, भीष्म –युधिष्ठिर तूने बनाया ||
सच है की कर्ण – अर्जुन, बुध्द-महावीर तूने ही बनाया |
तेरी महिमा अपार माँ ! तेरी महिमा अपार
हे नित्य माता ! तूने ही शंकर – रामानुजन,
गाँधी
– मालवीय, हिय का अमीरस पिलाया ||
तेरी महिमा अपार माँ ! तेरी महिमा अपार........
हे माँ ! हमे भी शरण दो, मन की कुबुद्धि हर दो |
हे वर दायिनी वर दो , जीवन धीर – वीर कर
दो |
माँ ! मेरे जीवन की बगिया, नित् खिलती रहे |
तुझ से बनी सांसों की डोरियाँ चलती रहें ||
माँ ! तू बस इतना करम कर दे|
निज वत्स का इतना धरम कर दे ||
हमे झुकाएं शीश, तूं हमें शुभाशीष दे ||
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