Monday, February 27, 2023

मनुष्यो को अपने हृदय कि सु बुद्धि से दीपशिखा जलानी चाहिए। उन्हें एक दुसरे के मध्य भेदभाव डालकर मौज -मस्ती नहीं करनी चाहिए मौज -मस्ती दो पल की भूल है उनके कु-बुद्धि शूल है।
                                शिवराज आनंद 

Wednesday, February 15, 2023

'बाधाएं और कठिनाइयां हमें कभी रोकती नहीं अपितु मजबूत बनाती है।'
                      शिवराज आनंद 

Thursday, January 26, 2023

जीवन की सोच

(हमें बाधाएं और कठिनाईयां कभी रोकती नहीं है अपितु मज़बूत बनाती हैं)
  लफ़्ज़ों से कैसे कहूं कि मेरे जीवन की सोच क्या थीं? आखि़र  मैंने भी सोचा था कि पुलिस बनूंगा, डाॅ बनूंगा किसी की सहायता करके ऊॅचा नाम कमाऊंगा पर नाम कमाने की दूर... जिन्दगी ऐसे लडखङा गई  जैसे  शीशे  का  टुकङा  गिर  पड़ा  हो  फर्क  इतना  सा  हो  गया   जितना  सा  जीव  - व  निर्जीव   मे  होता  है । मै  क्युं  निष्फल  हुआ ? 
      हाॅ मैं जिस कार्य को करता था  उसमें  सफल होने  की आशा नही करता  था मेहनत  लग्न से जी -चुराता था इसलिए  मेरे  सोच पर पानी फेर फेर  आया । गुड़- गोबर हो गया।अगर  मैने  मेहनत  लग्न  से  जी  - लगाया होता  तो किसी  भी  मंज़िल  पा सकता  था  ऊंचा  नाम  कमा था। अभी  भी  मेरे  मन  में कसक होती  है।' जब  वे  लम्हें  याद  आते  हैं और  दिल  के   टुकड़े-टुकड़े कर  जाते हैं। कि काश,  मैं उस दौर में समय की  क़ीमत  को  जाना और  समझा  होता : जिस  समय   को  युंही  खेल -  कुद ,  मौज- मस्ती  मे  लुटा   दिया । बहरहाल,  'अब  मै  गङे  है  मुर्दे  उखाङ कर  दिल  को  ठेस  नही  लगाऊंगा.. वरन्  उन  दिलों  नव -नीव डालकर  भविष्य   का  सृजन  करुंगा ।'
            हाॅ ,मै  अल्पज्ञ  हूं। किंतु इतना  साक्षर  भी  हूं  कि  अच्छे   और   बुरे  व्यक्ति की पहचान  कर सकूं।उन  दोनों  की  तस्वीर  समाज के  सामने   खींच   सकूं । फिर  यह कह सकूं  कि ' सत्यवान को की  सोच  में और बुरे इंसान की सोच  मे जमीं   व आसमां से भी अधिक  अन्तर होता  है  चाहे  क्यों ना एक - दुजे का मिलन  होता हो मत -भेद जरुर होता  है।
            उन  दोनों  की  ख़्वाहिश  अलग  सी  होती  है ख़्वाबों  में  पृथक-पृथक   इरादें लाते हैं ।सु - कृत्य और कु-कृत्य।सु कृत्यों मे जो स्थान  किसी कि सहायता करना ,भुले -भटके  को वापस लाना या ये कहें कि ऐसे सुकर्म जिनका फल सुखद होता है किन्तु वहीं  कु  कृत्य करने वाले  कि सोच किसी कि ज़िल्लत करना , किसी पर इल्ज़ाम  लगाने जैसे अशोभनीय और निंदनीय  कर्मो  से  होता है  
        सभी  कर्मो का इतिहास  'कर्म साक्षी'  है। फिर     कैसे    राजा लंकेश  के कपट -कर्म  और मन के    कलुषित - भाव ने  उसके  साथ   समुचे लंका का पतन कर डाला।'माना कि झुठ के आड़ से किसी  की जिंदगी  सलामत हो जाती  है तो उस वक्त  के  लिए  झूठ  बोलना सौ -सौ सत्य  के समान है। परंतु निष्प्रयोजन मिथ्यात्व क्यों? फिर तो इस संसार में सत्य और  सत्यवान की भी परीक्षा हुई है और सार्थक सोच की शक्ति ने विजय पाई है।'
  'महापुरुष  हो  या  साधारण सभी परिवारीक  स्थित मे गमगीन  होकर विषम परिस्थितियों में खोए  रहते  है । कहने का तात्पर्य  है कि सम्पूर्ण  ' 'जीवन  की  सोच ' सत्कर्म  मे होना चाहिए ।
         मै तो यह नही कह सकता कि सोच करने  से सदा आप  सफल हो जाएंगे किन्तु  मेहनत   लग्न  और विश्वास  से रहे  तो एक  दिन चाॅद - तारे  भी तोड़ लाएंगे 
          कहीं  आप भी  ऐसा कार्य न कर बैठे कि पीछे  आपको  आठ- आठ आंसू  रोना  पड़े।आज मुझे  मालूम  हुआ  कि  जीवन  की  सोच कैसी होनी चाहिये । मै  तो असफल  हुआ।ओंठ  चाटने  पर  मेरी  प्यास नही बुझी ।लेकिन  आप ज्ञानवान  हैं सोच  समझकर  कार्य करें ।आत्मविश्वास से मन  की एकाग्रता  से  नही तो  आपको  भी आठ - आठ आंसू  रोने पड़ेंगे ।
                                           शिवराज आनंद 

राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान 2020

Sunday, November 13, 2022

परिचय

नाम- शिवराज आनंद साहित्य नाम ।पूर्ण नाम शिव कुमार साहू   04 मई 1987 सोनपुर तह रामानुजनगर सूरजपुर छत्तीसगढ़। शिक्षा -  स्नातक
विधा - गद्य और पद्य 
साहित्य कृतियां - जीवन की सोच, मेरी आवाज, जिओ उनके  लिए, मां की महिमा, प्रेम -जगत, हम कलियुग के प्राणी हैं, घर का भेद, का जंजाल -संसृति, यहां उनका भी दिल जोड़ दो,  उठो युवा तुम उठो  ऐसे, मानवता के डगर पे, बेवफा अपनों के लिए आदि।
सम्मान:-राष्टीय प्रतिभा सम्मान 2020
            नेशनल आइकन अवार्ड 2021
             फेस आफ इंडिया अवार्ड 2022
             श्री राघव सम्मान 2024
          साहित्यकार चिन्हारी पंजीयन क्रमांक          LISAT202200002874
TKN202200003718